बुद्ध धाम
बुद्ध धाम पर निकल पड़ा,
जन्म लिए हैं बुद्ध जहांँ,
लुंबिनी वन में हुआ खड़ा,
शाल वृक्ष है बहुत बड़ा,
महामाया ने यहांँ पुत्र जन्मा,
अनुभव पाकर आगे बढ़ा ।…..।१।
भिक्खु संग निकल चला,
पहुंँचा जब मैं बोधगया,
जहांँ खड़ा पीपल वृक्ष सदा,
बैठ यहांँ संकल्प लिया,
बुद्ध ने पाया ज्ञान यहांँ,
दुख से मुक्ति का मार्ग नया ।…..।२।
भिक्खु के संग अब आगे चला,
दर्शन करने सारनाथ अब,
पहुंँचे बुद्ध ज्ञान के बाद जब,
उपदेश दिए प्रथम बार तब,
पाँच शिष्य ने ग्रहण किये जब,
सुन कर मन अब तृप्ति हुआ ।…..।३।
भिक्खु ने एक बात कही,
बढ़े चलो अब कुशीनगर,
जहांँ पर है निर्वाण की डगर,
बुद्ध शान्ति का मार्ग अमल,
देह त्याग यह सत्य वचन,
धम्म धाम का मूल सफल ।…..।४।
#..बुद्ध प्रकाश;
मौदहा,हमीरपुर ।