बुद्ध की राह में चलने लगे ।
मन भटका हुआ है,
भ्रम के संसार में,
अज्ञान घेर रहा है,
निरीह प्राण में,
बुद्ध की राह में,
अब तो चलने लगे।
शांति की खोज में ,
घर से निकलने लगे,
मिल गये बुद्ध जी,
ज्ञान होने लगा,
बुद्ध की राह में,
अब तो चलने लगे ।
शांति मन में मेरे,
अब आने लगी,
बुद्ध ज्ञान से अब,
सत्य समझने लगा,
बुद्ध की राह में,
अब तो चलने लगे ।
सफल जीवन मेरा,
अब होने लगा,
जन्म व्यर्थ न रहा,
राह ऐसा मिला,
बुद्ध की राह में,
अब तो चलने लगे ।
रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।