चलो अब बुद्ध धाम दिखाए ।
चलो अब बुद्ध धाम दिखाए,
बुद्ध की करुणा अब पाये ।
जन्म हुआ जहांँ बुद्ध का,
वह पावन भूमि लुम्बिनि वन,
निर्वाण मिला जहांँ बुद्ध को,
कुशीनगर वह पावन धाम।
चलो अब बुद्ध धाम दिखाए,
बुद्ध की करुणा अब पाये ।
ज्ञान पाकर जहांँ बुद्ध बने,
बोधगया वह पावन धाम,
धम्म चक्र गतिमान हुआ जहांँ,
सारनाथ अति पावन धाम ।
चलो अब बुद्ध धाम दिखाए,
बुद्ध की करुणा अब पाये ।
रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।