“बुदबुद छंद”
“बुदबुद छंद”
शिव शिव बोल बोल जै
बम बम बोल बोल जै।
शुभ दिन सोमवार है
कल कल गंग धार है।।
प्रति पल तोल मोल रे
ढब ढब ताल ढोल रे।
मन मन चाह चोर है
निज गृह छाँह भोर है।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
“बुदबुद छंद”
शिव शिव बोल बोल जै
बम बम बोल बोल जै।
शुभ दिन सोमवार है
कल कल गंग धार है।।
प्रति पल तोल मोल रे
ढब ढब ताल ढोल रे।
मन मन चाह चोर है
निज गृह छाँह भोर है।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी