*बुढ़ापे के फायदे (हास्य व्यंग्य)*
बुढ़ापे के फायदे (हास्य व्यंग्य)
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लोग पता नहीं क्यों बुढ़ापे को हेय दृष्टि से देखते हैं, जबकि बुढ़ापा जीवन की उच्च अवस्था है । बूढ़ा होते ही व्यक्ति ‘सीनियर सिटीजन’ की श्रेणी में आ जाता है। बालों की सफेदी हर स्थान पर उसका आदर-सम्मान करने के लिए लोगों को प्रेरित करती है। प्रत्येक क्षेत्र में उसे वरिष्ठ कहा जाने लगता है।
ज्यादातर मामलों में वरिष्ठ का मतलब बूढ़ा होता है। वरिष्ठ कवि, वरिष्ठ लेखक, वरिष्ठ व्यापारी, वरिष्ठ वकील आदि-आदि । वरिष्ठता का यह सौभाग्य केवल बूढ़े होने पर ही सुलभ होता है। पच्चीस-तीस साल का व्यक्ति अपने क्षेत्र का कितना भी अग्रणी व्यक्ति क्यों न हो, लेकिन वरिष्ठ नहीं कहलाएगा।
बूढ़े लोगों के लिए बैंकों में अधिक ब्याज देने की भी सुविधा होती है। बूढ़े लोगों को बस-ट्रेन आदि के किराए में भी छूट मिलती है। निशुल्क चिकित्सा हेतु आयुष्मान कार्ड केवल वृद्धावस्था के कारण ही हर आय वर्ग के व्यक्ति को मिल रहा है। जो लोग बूढ़े नहीं हैं, उन्हें सब प्रकार की सुविधा नहीं मिल पातीं। सफर में बूढ़े व्यक्तियों को सीट आसानी से हर कोई उपलब्ध करा देता है। बूढ़े व्यक्तियों की मदद करने के लिए समाजसेवी प्रवृत्ति के लोग हमेशा तैयार देखे जा सकते हैं।
बूढ़े व्यक्तियों को समारोह की अध्यक्षता के कार्य के लिए आमतौर पर पसंद किया जाता है। यह माना जाता है कि कार्यक्रम के अध्यक्ष के आसन पर कोई वृद्ध व्यक्ति बैठकर कार्यक्रम की शोभा द्विगणित कर देता है। कम आयु के लोगों को समारोह का अध्यक्ष बनाना लोग कम ही पसंद करते हैं।
वयोवृद्ध लोगों के पास पत्रकार लोग अक्सर उनके संस्मरण सुनने के लिए पहुंच जाते हैं। केवल वयोवृद्ध लोग ही बता सकते हैं कि पच्चीस साल पहले अमुक घटना किस प्रकार हुई थी अथवा चालीस-पचास साल पहले का राष्ट्रीय और सामाजिक परिदृश्य किस संदर्भ में कैसा था ? नवयुवकों के पास कोई अनुभव नहीं होता। अनुभव बुजुर्गों की सबसे बड़ी पूॅंजी है। वही बताते हैं कि किसी छोटे से बच्चों के परदादा देखने में कैसे लगते थे? अथवा उनका कार्य-व्यवहार किस प्रकार का था। बुजुर्ग लोग क्योंकि जीवन की विभिन्न राहों पर भ्रमण कर चुके होते हैं, इसलिए उन्हें सब रास्तों का अनुभव होता है। कहॉं कैसा मोड़ आएगा, उन्हें पहले से पता होता है। उनका अनुभव समाज के बड़े काम का रहता है।
दिक्कत यह है कि बूढ़े लोग अपने स्वास्थ्य का आमतौर पर ख्याल नहीं रख पाते। वह बूढ़े होने के साथ-साथ अस्वस्थ भी हो जाते हैं। अस्वस्थ होते ही बुढ़ापे का मजा समाप्त हो जाता है। इसलिए स्वस्थ रहकर बूढ़े होने का आनंद उठाइए। बुढ़ापा जिंदाबाद।
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लेखक: रवि प्रकाश
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