बुड़बक बेटा आज्ञाकारी।
बुड़बक बेटा आज्ञाकारी।
-आचार्य रामानंद मंडल।
खोकसी गांव मे एगो समृद्ध किसान रामबचन महतो रहलन।वो बीस बिघा जमीन के जोतनिया रहलन। हुनका दू गो बेटा रहैन।
बड़का बेटा बेशी न पढ पायल। खींच खांच के मैट्रिक पास रहय। शुरूये से बड़ बेटा मनोहर अपन बाप के खेती गृहस्थी में संग पूरे लागल।
अट्ठारह उमेर पूरैत मनोहर के बिआह पड़ोस गांव बराही के समृद्ध किसान चलितर मंडल के बड़की बेटी सुनीता से भेल रहय। सुनीता सुन्दर आ सुशील रहय। वो मृदुभाषी आ व्यावहारिक रहय।अपन सास के खूब सेवा करय।एकरा से एगो पोतो भेल रहय। पोता किशन बड सुंदर रहय। घर में सभके दुलुरुआ रहय।
छोटका बेटा मनोरंजन प्रतिभावान रहय। पहिला किलास से इंटर सांइस तक फस्ट कैलक।वोकरा बाद आइ आइ टी क के अमेरिका मे इंजिनियर के नौकरी करे लागल। कंपनी मे काज करैत अमेरिकी लैइकी से प्रेम बिआह क लेलक।रुपयो पैसा घरे न भेजे।फोन से कहियो काल माय -बाप से बात क लेबे।
एनी माय -बाप बुढ भे गेल।सारा खेती गृहस्थी के काज मनोहर करे संगे बाप माय के सेवा सुसर्सा करय। रामबचन महतो बिमार पड़ गेलन।
गांव के दोस महिम से रामबचन महतो के देखे आबय त हाल चाल पूछे।एकटा दिन मनोहर अपन बाप के गोर जतैत रहय।ओही समय रामबचन महतो के दोस राम निहोरा आयल।
मनोहर बाजल -गोर लगैय छियो राम निहोरा काका। कुर्सी पर बइठा।
राम निहोरा बाजल -निके रहा मनोहर।
फेर राम बचन महतो से निहोरा राय बाजल -किहो रामबचन कि हाल चाल हौअ।
रामबचन महतो बाजल -ठीके छी।
राम निहोरा राय -बड़का बेटा के कि हाल चाल हौअ।
रामबचन महतो खुश होइत बाजल -बड निक।वो त खानदान के नाउ उच्च क देलक।हमर पुतोहुओ अमेरिकी हय आ बेटे वाला कंपनी में काज करैत हय।बेटो के अमेरिका मे नागरिकता भेंटे वाला हय।वोहो अमेरिकन हो जायत।
राम निहोरा राय बाजल -हं। मनोरंजन त उजिया गेलौअ।आ मनोहर के लेल कि सोच लोहु हय।
रामबचन महतो बाजल -हो।एकरो पढाबे के लेल कि न कैली। एकरा त पढे मे मने न लागैय। खींच खांच के मैट्रिक त पास क गेल। एकरा खेती गृहस्थी में लगा देलिय।इहे सारा खेती गृहस्थी इहे देखय हय। इहे अइ जमाना मे बुड़बक रह गेल।
राम निहोरा राय बाजल -हो रामबचन।एना न बोला।देखा,तू एगो निक किसान छा।आबि बुढ भे गेला।परंच मनोहर पूरा खेती गृहस्थी संभाल लेलको। पहिले ही जेका ढेर दू सौ मन धान गेहूं उपजा लेउ छौ।घर अन्न से भरल रहैय छौअ।हं। रुपया पैसा के कनिका तंगी रहौअ छौअ।किसानी मे इ त रहैय छैय।
रामबचन महतो बाजल- हो राम निहोरा। खेती गृहस्थी में आबि कि राखल हय।लड़िका फड़िका पढ लिख के देश विदेश में रहय छैय,कमाई छैय,अपना परिवार के त देखैय छैय,वोहे निक रहय छैय।नाम गांव होय छैय।आबि गांव समाज वोकरे निक कहय छय।
राम निहोरा राय बाजल -हो परदेशिया आखिर परदेशिये होय छैय। हो। झूठे प्रतिष्ठे में लोग मातल रहय हय।देखा।पांच बरिस भे गेलो मनोरंजन के अमेरिका गेला। कहियो दू गो रुपयो भेजलको हय।घुमियो के कहियो अलौ हय। लोग प्रतिष्ठे प्राण गंवैय हय।
रामबचन राय बाजल -ठीके कहे छा हो राम निहोरा।कम से कम मनोहर आंखि के सामने त रहय हय।खुब सेवा सुसुर्सा करैय हय। भले समाज के नजर में बुड़बक हय परंच बड आज्ञाकारी हय।
पोता किशन आबि पटना मे रहि के कम्पटीशन के तैयारी करैय हय।
@रचनाकार -आचार्य रामानंद मंडल, सीतामढ़ी।
मो -9973641075.