बुझक्करी दाबीए चूर तैं हमरा पाछुए घूर? (हास्य कटाक्ष)
बुझक्करी दाबीए चूर तैं हमरा पाछुए घूर?
(हास्य कटाक्ष)
बाबा बड़बड़ाइत बजलाह कहअ त एहनो कहीं बूझक्करी दाबी भेलैए? जे हमहिं टा बड्ड काबिल बुझक्कर आ दोसर कियो त तिछ बुझबे ने करैत होउ जेना? हमहिं टा शुद्ध लीखै छी आ महाब्यकर्णाचार्य वला दाबी जे आन अशुद्धे लिखैत हेतै ओकरा व्याकरण के समझ कतअ स हेतै? ज एक आध टा कवि सम्मेलन मे चल गेल होई आ कि अकादमी पुरस्कार सम्मानित भ गेल होउ धोखे स तब त आरो अनकर मोजर नै करै जाइ छै की?
हम बाबा स पुछलहुँ जे अहाँ खराब आ की नीक लीखै छियै से त जनता फैसला करतै कीने? अहाँ के मोजर नै करै जाइए त अंहू मोजर नै करू? एते मथापेची कैलेए? बाबा बजलै हौ कारीगर मैथिली मे अजबे ताल छै सब अपने दाबिए चूर रहतह जे हम बड्ड काबिल लेखक, दोसर त अदर बदर लिखैए?
दर्शक पाठक वर्ग सब एकरा सबहक किताब पढ़बे नै केलकै आ अपनेमने दाबीए चूर रहतह? कतेक जेकरा साहित्यक जानकारी नै उहो सब मिथिला मैथिली ठीकेदार क अपना के लाल बुझक्कर दाबीए गौरबे चूर रहतह. जहिया पब्लिक जागि गेल तहिया बुझहक एकरा सबहक अनेरूआ दाबी चूरमचूर भऽ जेतै की?
यथार्थ बजहक लिखहक त इ किछु भंगपीबा गजपीबा दलाल अंधभक्त सब हमरे तोरा बाबा बहटरबा, कारीगरबा कहि अवहेलना करतह? पुछबहक एना किए त फूइसबूक पर गलथोथरी करतह? ओतौह कुतर्क क बुझकरी दाबी देखा तोरा नीचा देखबै के फिराक मे रहतह की? आब लाजो धाख छै कहां अई निरलज्जा सब के?
हम बाबा के टोकलहुँ जे बड़बड़ाइते रहब की एकर समाधानो हेतै? बाबा हां हां क हँसैत बजलाह धूजी आब हमरा कोनो डर अछि की? आब हमहूँ एकरा सब लक बुझक्करी दाबीए रहब चूर आ उ सब हमरा पाछुए घूर? करतै बतकुट्टबैल त आब पब्लिक खिहारतै क देतै गलबज्जी मे चूरमचूर.
कथाकार©किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)