बुजुर्गों से दूर..
बुजुर्गों से दूर तुम होते रहोगे
अपने मन की शांति खोते रहोगे
इनके अनुभव के है मोती कीमती
ले लो वरना ता उमर रोते रहोगे
पसीने से सींच कर पैदा किये हैं
कम न होंगे बीज जो बोते रहोगे
परिश्रम से उन्नति लिखती इबारत
न मिलेगी रात दिन सोते रहोगे
तैरना तुमने अगर सीखा नहीं
तो तटों पर लगाते गोते रहोगे
मलिनता ही सदा हाथ में आएगी
मैल से गर मैल को धोते रहोगे