सन् “बीस सौ बाईस”
“बीस सौ बाईस”
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?२०२२?
आया है , सन् ‘बीस सौ बाईस’;
पूरी होंगी अब,सबकी ख्वाईस;
चांद पे अब, निज भारत होगा;
हर क्षेत्र में , खुद महारथ होगा;
बाइस में केवल , दो-दो ही होंगे;
हर घर,हम दो हमारे दो ही होंगे;
अब, नियंत्रित ही आबादी होगी;
आबादी की नहीं,आजादी होगी।
अब ‘भारत’ की होगी,यह ‘धरा’;
पूरा जग होगा,पीछे-पीछे खड़ा;
अब से चलेगी शक्ति,’भारत’की;
सब करेंगे भक्ति,इस तीरथ की।
इक्कीस से अच्छा, बाईस होगा;
होगा नया अयोध्या, नया काशी;
अब फूल खिलते रहेंगे, धरा पर;
मिलजुल रहेंगे,सारे भारतवासी।
न तो कहीं, कुछ भेदभाव होगा;
ना कहीं , कुछ भी अभाव होगा;
नई पीढ़ी का सिर्फ प्रभाव होगा;
भ्रष्टों का नहीं , कोई भाव होगा।
२०२२, साफ-सुथरी साल होगी;
शिक्षित होंगी, अब सारी जनता;
पढ़ेंगी अब, भारत की हर बच्ची;
२१ में विवाहित होंगी,पर सच्ची।
बदला है मौसम,फिर बदला साल;
बदल जाओ तुम भी,करो कमाल;
नई उपलब्धि हेतु कर,अजमाइस;
आया देखो, सन् ‘बीस सौ बाईस’।
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स्वरचित सह मौलिक;
……✍️पंकज ‘कर्ण’
………….कटिहार।।
तिथि:०१/०१/२०२२