बीस वर्ष
दिल के अरमान,
सुनहरे सपनों की डोर पिया है तुमसे बांधी।
तुमसे रिश्ता मेरा नहीं तोड़ पाई,
तुम्हारे कुछ रिश्तों की आंधी।
मुझको तन्हा किया जिनकी खातिर,
सदा ढूंढें वो,रिश्तों में चांदी।
बीस वर्ष हुए,पर भूल न पाती
नीलम वो धोखों की आंधी।
डटी रही मैं दृढ निश्चयी,
बीच दलदल जो तुमने सांदी।
बंधी रही तुमसे मैं मनसे
ज्यूं हूं जन्म जन्म की बांदी।
मुझको दूर न कर पाई तेरे
खोखले रिश्तों की वह आंधी।
पता है मुझको, तैयार खड़ा है
आज भी इंतजार में तुफां।
सुनो! उड़ा दूंगी मैं उसको,
मेरे हृदय भी उठा है उफां।
आज भी सुन मुझे इंतज़ार है,
जो पहली मुलाक़ात का करार है।
अब सोच समझकर धोखा देना,
पिया अब धोखा बर्दाश्त से बाहर है।
नीलम शर्मा