बीस वर्ष
हमें २० वीं सालगिरह की हार्दिक मंगलकामनाएँ एवं मांगलिक शुभकामनाएँ।
परिणय सूत्र के बीस साल,
आज हुए हैं भूतकाल।
तोता मैना युगल जैसे हों,
अपने आने वाले साल।
हे कृष्ण निज चरणों में तेरे,
नीलम-संजय का कृतज्ञ प्रणाम।
तुम ही हो कान्हा मेरे खेवट,
दो दर्शन अभिराम-ललित ललाम।
पतझड़ जीवन का पुरुषार्थ बना,
हममें, खूब भरा वासंती उल्लास।
कर्म सौंदर्य का भाव जगाकर,
भरा मुझमें स्वाभिमान आभास।
सुन, मैं पतंग तुम डोर पिया,
बिन उड़ान गगन अछूता है।
तुमसे परिणय सूत्र बंधकर
जीवन निज लक्ष्य को छूता है।
सुनो, वर्तमान ही वसंत हैं,
सुखद पल असीम,अपार अनंत हैं।
भविष्य काल भी सुखमय होगा,
अगर नीलम ख्वाब जीवंत हैं।
आओ चढ़ते दिनकर को दें आवाज़,
पिया उल्लास जिया में भरके।
चलो आसमान को मिल छूलें सनम,
हम नवल उजास अमा में भरके।
हाथों में हाथ लिए नित चलें साथ,
हर हार को परास्त करके।
२० वर्ष तो बीत गए, पिया
बाकी जीवन भी जीलें जी भरके।
कंटिल पथ पर मुस्कान लिए,
लेकर आंखों में ख्वाब प्रिये।
मैं बनूं मुरली मेरे कान्हा की और
तुम मेरा मधुर संगीत प्रिये।
तुम हो मेरे मनमीत प्रिये,
मेरी सांसों का अविरल गीत प्रिये।
तुम हाथ मेरा यूंही थामे रहना,
हम हर युद्ध लेंगे फिर जीत प्रिये।
२० वर्ष थे, कठौती में गंगा
और चंगा था नीलम शुभ मन।
संजय दृष्टि भी धृतराष्ट्र हुई तब,
नीलम में खिलाया स्वसिद्ध सुमन।
बलवान काल ने संजय,अकाल का,
कर्म पूजन से कर दिया अंत।
मिल जुल और कर्मरत होकर ,
सुन पाया हमने पुनः मधु वसंत।
नीलम शर्मा