बीबी बिन घर नही होता
***** बीबी बिन घर नहीं होता *****
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शोख बीबी बिन कोई घर नहीं होता,
साथ शौहर हो तो बे घर नहीं होता।
रोज बेगम लड़ती रहती मियाँ से है,
क्या पड़ोसन बिन कोई दर नहीं होता।
तीर नैनो से आशिक खेलता रहता,
ऑंख मलने से भी कम डर नहीं होता।
लूटते है तन मन को जालिम दरिंदे बन,
जिस्म का प्यासा भी मनहर नहीं होता।
अब भरोसा उठता ही जा रहा आमिर,
संग उड़ जाए गर क्षत पर नहीं होता।
रीत मनसीरत चलती आ रही धुर से,
प्यार जितना भी दो पर तर नहीं होता।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)