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31 Mar 2021 · 1 min read

बीत गई है होली लोग रंगो को छुड़ाने लगे है

बीत गई है होली लोग रंगो को छुड़ाने लगे है |
अपने चाहने वाले, फिर से याद आने लगे है ||

पी थी भांग जिन्होंने,उनका नशा उतरने लगा है |
क्यों किया था ऐसा,काम उनको अखरने लगा है ||

मेहमान जो आये थे, अपने घरो को जाने लगे है |
उड़ रहे थे जो पंक्षी,अपने घौसलो में जाने लगे है ||

हो गई है गर्मी तेज,पुरवा हवा अब चलने लगी है |
नीम की ठंडी छाया,तन को अच्छी लगने लगी है ||

उत्तर गया है खुमार,लोग काम पर जाने लगे है |
अब तो अपने ही अपनों से हाथ छुड़ाने लगे है ||

खलती थी जो कलम दवात,उसको चाहने लगे है |
रस्तोगी भैया फिर से अपनी कलम चलाने लगे है ||

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 213 Views
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