बीत गई है होली लोग रंगो को छुड़ाने लगे है
बीत गई है होली लोग रंगो को छुड़ाने लगे है |
अपने चाहने वाले, फिर से याद आने लगे है ||
पी थी भांग जिन्होंने,उनका नशा उतरने लगा है |
क्यों किया था ऐसा,काम उनको अखरने लगा है ||
मेहमान जो आये थे, अपने घरो को जाने लगे है |
उड़ रहे थे जो पंक्षी,अपने घौसलो में जाने लगे है ||
हो गई है गर्मी तेज,पुरवा हवा अब चलने लगी है |
नीम की ठंडी छाया,तन को अच्छी लगने लगी है ||
उत्तर गया है खुमार,लोग काम पर जाने लगे है |
अब तो अपने ही अपनों से हाथ छुड़ाने लगे है ||
खलती थी जो कलम दवात,उसको चाहने लगे है |
रस्तोगी भैया फिर से अपनी कलम चलाने लगे है ||
आर के रस्तोगी गुरुग्राम