बीत गई दीवाली
बीत गई दीपावली देकर एक पैगाम
खर्च,प्रदूषण बढाकर करते हो बदनाम
दीवाली का नाम लेकर करते हो काम
नहीं हैं सामाजिक बदनाम हो सरेआम
ढेर पटाखे चलाकर बढाएं कूड़ा कबाड़
वातावरण प्रदूषित,फैला धूँए का पहाड़
ध्वनि प्रदूषण से हुआ भगवान परेशान
हाले इंसान देखके होता है बहुत हैरान
रंक हो या रईस करता खर्चे की भरमार
प्रकृति नियम कायदों को करे दरकिनार
कहें पर्व अच्छाई ज्ञान प्रकाश का प्रतीक
फैलाएँ बुराई अज्ञानता लें ना कोई सीख
मांस मदिरा सेवन, जुआ खेले उस रोज
घर संसार खाक हो,मदहोश है उस रोज
दीवाली देखो उसकी जो ढूँढता है पटाखे
सुबह लगे ढेर पटाखों से अनचले पटाखे
सीख जाओ ओ मानुष कहती हैं दीवाली
साफ सुथरी अप्रदुषित सदैव हो दीवाली
जन गण सुरक्षित,खुशहाल होगी दीवाली
सुख शांति समृद्धि रिद्धि सिद्धि दीवाली
सुखविंद्र सिंह मनसीरत