डायरी बीते हुए लम्हों की
बीते हुए लम्हों की,
याद दिलाता है ।
हमारी डायरी ।।
उसमें प्यार का हसीन,
ख्वाब दिखाता है ।
हमारी शायरी ।।
हमारी कोई गुस्ताखी नहीं,
फिर क्यों हमारे रिश्तों में,
खटास आ गई ।।
हवस का भूखा नहीं था जानम,
मैं तेरे प्यार का भूखा था ।
जिसे तुम ठुकरा गई ।।
जो हुआ ठीक हुआ,
अब बहुत हो गया,
मैं काफी सह लिया, तेरे नखरे ।
अब तुम्हारी हद हो गई ।।
तुम छोड़ दो मेरा हाथ,
नहीं तो हम हाथ छोड़ देंगे ।
सब लोग तो हैं ही तुम्हारे,
केवल हम तेरा साथ छोड़ देंगे ।।
चुप रहा नहीं जाता,
कुछ कहा नहीं जाता ।
दर्द-ए-जुदाई का गम,
अब मुझसे सहा नहीं जाता ।।
बर्दाश्त किया हूँ बहुत कुछ अबतक,
बर्दाश्त कर लूँगा ये दर्द भी ।
हद हो गई हमारी आशिकी की,
अब मिलना जुलना बंद करना ।।
मैं भी मजबूर हूँ,
तू भी मजबूर है ।
कोशिश करना,
अब दूर ही रहना ।।
तेरे लिए भी,
मेरे लिए भी ।
हमदोनों के लिए,
अब ये तो जरूर है ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 19/01/2021
समय – 05:05 (शाम)
संंपर्क – 9065388391