बीते हुए दिन
# बीते हुए दिन #
साथ बिताए बचपन के पल ,
याद बहुत ही आते हैं।
नम हो जाती है ये आंखे,
जब यादों के पन्ने खुलते हैं।
एक दूजे से खूब झगड़ते,
प्यार भी हद से ज्यादा था।
साथ में सोना ,साथ में उठना
सब काम साथ में करना था।
साथ में रहने वाले हमसब ,
दूर बहुत हो जाते हैं।
उन मीठी यादों की कसक,
रह रहकर दिल में उठती है
साथ बिताए बचपन के दिन
याद बहुत ही आते हैं
कितने भी हों पास मगर,
मिलना नही हो पाता है।
तीज और त्यौहारों पर ,
अब जाना भी कम होता है
दूर हुए एक दूजे से ,
तब याद बहुत सब आते हैं।
साथ बिताए बचपन के पल,
याद बहुत ही आते है.
रुबी चेतन शुक्ला
अलीगंज
लखनऊ