बीते दिन
पहले जो बीते दिन वह दिन कितने अच्छे थे,
तब घर कच्चे व दिल सच्चे थे।
हर दिल में एक दूसरे के लिए ,
प्यार व इज्जत थी,
आज सब अपने में ही व्यस्त हैं,
किसी के पास भी इंसानियत बाकी नहीं।
आज से कुछ समय पहले,
किसी अजनबी की आंख से निकला ,
आंसू भी अपना लगता था।
आज अपनों की आंख से निकला आंसू भी मानो सपना लगता है।
आधुनिक युग में लोगों ने बहुत,
शोहरत हासिल कर ली।
पर अपने हर रिश्ते की,
सूली बना कर रख दी।
अच्छा खाना ,अच्छा पहनना,
यह सब तो ठीक था।
पर किसी रोते को देख उसका ,
मजाक उड़ाना कहां का पागलपन सा।