बीता- वक़्त
बीता- वक़्त
सचमुच खोया वक़्त, सोये देर तक
इधर उधर की बातें, गप्पे देर तक
उम्र बढ़ गई, मायूसी दूर तक
जागे अब,अफसोश कब तक
लोग सभी जगा-जगा कर हारे,
ऐसी नींद हमारी, सोये रहे प्यारे
लोगों की सज गई फुलवारी
हमने अभी तक की नहीं तैयारी
सब कुछ अपने हाथों से डुबोए
फुलवारी कहां से होए, बीज जो न बोये
कल की फ़िक्र नहीं, आज का ज़िक्र नहीं,
इतिहास की बात क्या, समय रुकता है कहीं ?
सजन