बीज बो दिया है ।
साजिश किसी की नहीं होती है,
एक थाल में भोजन खाया है,
हृदय के अंदर जैसा बीज बोया है,
वैसा ही फल निकल बाहर आएगा।
प्रेम के बीज निस दिन बढ़ता,
नफ़रत एक दिन दफ़न होती है,
बीज बो दिया है जो तुमने,
वहीं तुम्हारी पहचान बताएगा।
रंजिश दुनिया की मिटा देना ,
एक दिन मिट्टी में खुद मिल जाओगे,
बंजर हुई कब्र अगर तेरी,
नफ़रत का बीज बोया था तब तुमने।
मानवता का बीज अति सुंदर,
प्रेम का पुष्प महके हर पल,
सींचना जल, दे जो मीठा फल,
बीज सफल भविष्य उज्ज्वल।
रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर ।