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2 Apr 2022 · 1 min read

“बीच सभा द्रौपदी पुकारे”

बीच सभा, द्रौपदी पुकारे,
हे गिरधर! तुम कहां पधारे ?

है समर्पित सब हाथ तुम्हारे,
तुम बिन संकट कौन उबारे?
दुष्ट दुशासन, खींच रहा चीर ,
बेबस अबला तन हारे ।

लाज बचा लो, हे कन्हैया!
कर जोड़ अर्द्ध नग्न खड़ी,
हर लो प्राण तन से मेरे,
या संकट से मुझे निकालो।

द्रोणाचार्य,भीष्मपितामा,
बीच सभा हुए पराए ,
आज पूर्ण कर वचन को अपने,
हे बंशीधर! द्रौपदी बुलाए ।

बड़ उपकार कर प्रभु,
रख ली तन की लाज हमारी,
सुन पुकार शीघ्र सभा पधारे,
चीर बढ़ाए, खुब मुस्कुराए,
दुष्ट कौरवों के रूह थर्राए।।

बीच सभा, द्रौपदी पुकारे,
हे गिरधर! तुम कहां पधारे ?

✍वर्षा(एक काव्य संग्रह)से/ राकेश चौरसिया

Language: Hindi
1 Like · 221 Views
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