बिहारी- मृदुगति छंद
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बिहारी छंद– मापनीयुक्त मात्रिक – 22 मात्रा ।
221 1221 1221 122
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जो तू अब चेते तब ही बात बनेगी ।
धरती तब ही सुंदर ये खूब सजेगी ।।
कुछ वृक्ष लगाओ हरियाली फिर आये ।
पावन जल से जीवन
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मृदुगति छंद-मापनीयुक्त मात्रिक- 24 मात्रा
221 2122 221 2122
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डरना नहीं कभी भी यदि हार हो तुम्हारी ।
कोशिश पुनः करो तो मिल जाय जीत भारी ।।
चींटी चले निरंतर कब हार मानती है ?
है कर्म ही सफलता वह राज जानती है ।।
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
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