” बिल्ली मौसी “
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बिल्ली मौसी करती म्याऊं ,
कभी ना पूछें दूध मैं पी जाऊं ।
दही , मछली पर भी फेंकती दांव ,
सब चट कर जाती ना करती म्याऊं ।।
एक है पूंछ दो है पांव ,
पंजा मार कर देती घाव ।
चूहे को वो बहुत छकाती ,
पल भर में चट कर जाती ।।
दबे पांव रसोई में घुस जाती ,
मुंह मार सब बर्तन गिराती ।
कंचे सी आंखों की चमक दिखाती ,
देख हमें फुर्र भाग जाती ।।
पूंछ हिलाकर नाच दिखाती ,
दौड़ – भाग कर उधम मचाती ।
किसी से ना वो पकड़ी जाती ,
बिल्ली मौसी बहुत सताती ।।
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? धन्यवाद ?
✍️ ज्योति ✍️
नई दिल्ली