बिल्कुल भी ना डरे,
निजता प्रस्तुत करे,
बिल्कुल भी ना डरे,
सभी काम सोच-समझ कर करें,
.
कोई जिक्र करे,
कोई फिक्र करे,
कोई तन्हाई से डरे,
कोई खो गया भीड़ में,
कोई कूद पड़ा भाड़ में,
ऐसे जीवन-लीला खत्म ना करें,
.
महेंद्र बन जा,
“मील का पत्थर” समको दिखाई पड़े,
कम से कम हमसफ़र तो ना डरे,
गर डरे भी तो ….,
हौसला बन संग में खड़ा हुआ मिले,
कभी दिल्ली दूर ना लगे,
.
निजता प्रस्तुत करे,
बिल्कुल भी ना डरे,
सभी काम सोच-समझ कर करें,
बस निजता प्रस्तुत करें,
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डॉ महेंद्र सिंह खालेटिया,