Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jan 2017 · 1 min read

बिरवा कहिसि

हमका यहु गर्व हवै बहुतै
अपना तन तोहि लुटाइत है।
जब भूख ते व्याकुल आयौ कबो,
हम आपनि डाल लचाइत है।
तुम्हरे जब घामु लगै कसिकै,
हंसिकै हमही जुड़वाइत है।
तुम काहेक काटति हौ हमका,
हम ना तुमका दुरियाइत है।।
तुम्हरी दुर्गंध बयारि भखी,
तुम का हम नीकि सुघाइत है।
मरुभूमि करी उपजाऊ सदा,
बरिखा तुम्हरे हित लाइत है।
जनमानस हेतु निछावर हौं,
हम तोहि यहै बतलाइत है।
तुम काहेक काटति हौ हमका,
हम ना तुमका दुरियाइत है।।
बन औषधि तोहि निरोग करी,
घर बाहर कामन आइत है।
खिरकी दरवाज केवार मुहार,
छतै तन ते बनवाइत है।
पकवान पकैं हमरे धर ते,
अपने उपरै पहुढा़इत है।
तुम काहेक काटति हौ हमका,
हम ना तुमका दुरियाइत है।।
पशु पच्छिन वास करै हम पै,
हम देखि सदा हरसाइत है।
फल खाय चुगै मल त्यागि दियै,
हम नाहि कबौ हरकाइत है।
उनके गुन नीकि लगै तुमका,
तुम्हरे हित ही दुलराइत है।
तुम काहेक काटति हौ हमका,
हम ना तुमका दुरियाइत है।।
हम मांगित नाहि कछू तुमते,
अपने मन मा सकुचाइत है।
नहिं रोपति हौ, तुम काटति हौ,
बसि आजु यहै दुखु पाइत है।
हम ना रहबै, तुम ना रहिहौ,
यहिते तुम का समुझाइत है।
तुम काहेक काटति हौ हमका,
हम ना तुमका दुरियाइत है।।
___सतगुरु प्रेमी

Language: Hindi
2 Likes · 698 Views

You may also like these posts

आचार्य शुक्ल के उच्च काव्य-लक्षण
आचार्य शुक्ल के उच्च काव्य-लक्षण
कवि रमेशराज
मंदिर बनगो रे
मंदिर बनगो रे
Sandeep Pande
हिन्दुस्तानी है हम
हिन्दुस्तानी है हम
Swami Ganganiya
मजदूर दिवस पर एक रचना
मजदूर दिवस पर एक रचना
sushil sarna
निगाहे  नाज़  अजब  कलाम  कर  गयी ,
निगाहे नाज़ अजब कलाम कर गयी ,
Neelofar Khan
भूखा कैसे रहेगा कोई ।
भूखा कैसे रहेगा कोई ।
Rj Anand Prajapati
मुहब्बत नहीं है आज
मुहब्बत नहीं है आज
Tariq Azeem Tanha
रण गमन
रण गमन
Deepesh Dwivedi
मन्दिर, मस्ज़िद धूप छनी है..!
मन्दिर, मस्ज़िद धूप छनी है..!
पंकज परिंदा
मे तुम्हे इज्जत,मान सम्मान,प्यार दे सकता हु
मे तुम्हे इज्जत,मान सम्मान,प्यार दे सकता हु
Ranjeet kumar patre
दर्द को मायूस करना चाहता हूँ
दर्द को मायूस करना चाहता हूँ
Sanjay Narayan
कब तक यूँ आजमाएंगे हमसे कहो हुजूर
कब तक यूँ आजमाएंगे हमसे कहो हुजूर
VINOD CHAUHAN
उजाले
उजाले
Karuna Bhalla
होली, नौराते, गणगौर,
होली, नौराते, गणगौर,
*प्रणय*
प्यासी तड़प
प्यासी तड़प
C S Santoshi
विचार और विचारधारा
विचार और विचारधारा
Shivkumar Bilagrami
ख़ुद ब ख़ुद
ख़ुद ब ख़ुद
Dr. Rajeev Jain
बित्ता-बित्ता पानी
बित्ता-बित्ता पानी
Dr. Kishan tandon kranti
व्यंग्य कविता-
व्यंग्य कविता- "गणतंत्र समारोह।" आनंद शर्मा
Anand Sharma
तेरी शरण में आया हूं
तेरी शरण में आया हूं
इंजी. संजय श्रीवास्तव
जय अम्बे
जय अम्बे
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
खुल जाता है सुबह उठते ही इसका पिटारा...
खुल जाता है सुबह उठते ही इसका पिटारा...
shabina. Naaz
2728.*पूर्णिका*
2728.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गांव में फसल बिगड़ रही है,
गांव में फसल बिगड़ रही है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*तू और मै धूप - छाँव जैसे*
*तू और मै धूप - छाँव जैसे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
चखा कहां कब इश्क़ ने,जाति धर्म का स्वाद
चखा कहां कब इश्क़ ने,जाति धर्म का स्वाद
RAMESH SHARMA
“नया मुकाम”
“नया मुकाम”
DrLakshman Jha Parimal
हमको नहीं गम कुछ भी
हमको नहीं गम कुछ भी
gurudeenverma198
ग़म-ए-दिल....
ग़म-ए-दिल....
Aditya Prakash
हमारे बुजुर्ग
हमारे बुजुर्ग
Indu Singh
Loading...