बिन बुलाये ही…..आ जाया करो!
जय मां शारदे
क़ाफ़िया :- आया की बंदिश
दैनिक कार्य:- प्रदत्त क़ाफ़िया पर ग़ज़ल लेखन
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बिन बुलाये ही ….आ जाया करो
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बिन बुलाये प्रभु आप आया करो।
भोग घर मेरे आके लगाया करो।
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जो दिया रूखा – सूखा है तुमने हमें,
अब वहीं नाथ आकर खा जाया करो।
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मैं बुलाता तुझे हर घड़ी देख लो,
तुम मुझे घर भी अपने बुलाया करो।
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तू ही दाता जगत का मैं याचक प्रभु,
यूँ न बालक को ऐसे भुलाया करो।
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मेरी अज्ञानता देना भटका मुझे,
आईना बन मुझे पथ दिखाया करो।
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अब तलक मैं भटकता रहा हूँ प्रभु,
आप भटकाव मन का मिटाया करो।
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है फँसी नाव देखो सचिन की भंवर,
भक्त को नाथ अब न रूलाया करो।
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✍✍पं.संजीव शुक्ल “सचिन”