बिन पैसों नहीं कुछ भी, यहाँ कद्र इंसान की
बिन पैसों के नहीं कुछ भी, यहाँ कद्र इंसान की।
मर जावो चाहे तड़पकर, नहीं खबर इंसान की।।
बिन पैसों के नहीं कुछ भी—————-।।
जड़ है सभी मुसीबतों की, यहाँ सिर्फ यह पैसा ही।
मिटाता है दर्द सभी का, यहाँ सिर्फ यह पैसा ही।।
वरना बहाते रहो आँसू , नहीं दया इंसान की।
बिन पैसों के नहीं कुछ भी—————-।।
दोस्त भी हो जाते हैं, दुश्मन यहाँ पैसों के लिए।
जुड़ते हैं रिश्तें भी सदा, सिर्फ यहाँ पैसों के लिए।।
वरना जीवो यहाँ अकेले, कीमत नहीं इंसान की।
बिन पैसों के नहीं कुछ भी—————–।।
हर किसी को बहुत प्यार है, लेकिन वह भी पैसों से।
मिलेगी यहाँ इज्जत भी बहुत, लेकिन वह भी पैसों से।।
चाहे तुम हो सत्यवादी, नहीं शान ऐसे इंसान की।
बिन पैसों के नहीं कुछ भी—————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)