बिन तोले मत बोल
—-बिन तोले मत बोल—
आहिस्ता आहिस्ता बोलिए
मधुर प्रेम भाषा तुम बोलिए
शब्दों को मुंह में तुम तोलो
फिर कुछ होठों से बोलिए
वाणी मधुर हो मधु जैसी
मधुर भाषी वचन बोलिए
कभी कटु वचन मत बोलो
चिंतन मंथन करके बोलिए
अगर जग में नाम कमाना
मृदुभाषी बन कर बोलिए
जगत में यह राज कराती
संस्कारी वचन तुम बोलिए
मिट्टी में सब है मिल जाता
बिन तोले मत तुम बोलिए
झूठ भरोसे कुछ यहाँ नहीं
सत्यवचन रहो तुम बोलिए
सत्य की रही सदा जीत है
नृप हरिश्चन्द्र पन्ना खोलिए
बुरे वचन कर्म का अंत बुरा
कंस, हिरण्यकशिपु देखिए
बुराई में कुछ नहीं धरा
लंकादहन प्रसंग खोलिए
लालच सदा बुरी बलां है
महाभारत से तुम सीखिए
मनुष्य जन्म है दुर्लभ मिला
कोयल सी बोली बोलिए
मानवता जिन्दा तुम रखिए
सुखविंद्र मंदा मत बोलिए
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)