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24 Jul 2020 · 1 min read

बिना शीर्षक

मुझे लगता है, कि
दुनिया भर में
सारे बच्चों का पिता मैं हूँ
भले ही
वे मेरी औरस संतान नहीं हैं
उनके उल्लास
मुझे उल्लसित करते हैं और
पीड़ाएँ दर्द में डुबो-डुबो देती हैं।
वह
जो नई कोंपल फूटी है पेड़ में
वह
जो नन्हा भ्रूण कुलबुलाया है
नवयौवना के गर्भ में
वे कोंपल या भ्रूण नहीं
मैं हूँ।
जीते-जी पुनर्जन्म लेता
रोज-रोज मरता
रोज-रोज जीता हूँ मैं।
24-7-2020 /10:10

Language: Hindi
2 Comments · 506 Views
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