बिना फूलों के गुले बाग अच्छे लगते नहीं है।
बिना फूलों के गुले बाग अच्छे लगते नहीं है।
बिना परिंदो के सजर ए शाख सच्चे लगते नही है।।1।।
दिखावा कर लो चाहे जितना तुम दुनियां में।
बिना ईमान के दिल ए इंसान सच्चे लगते नहीं है।।2।।
औलादों पर अब ध्यान दो सयाने हो गए है।
वैसे तो कभी बड़े मां-बाप को बच्चे लगते नही है।।3।।
मत तोड़ो अभी शाखों पर ही रहने दो इन्हे।
खाने में कच्चे फल स्वाद के अच्छे लगते नही है।।4।।
यकीं तुम्हे करना पड़ेगा ये खुदा ए जुबां है।
दिले गंदगी ना होती है झूठ बच्चे बोलते नही है।।5।।
संभाल कर रखो खुदको अदबों लिहाज़ में।
किसी के भी दामन पर लगे धब्बे मिटते नहीं है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ