बिना पतझड़ की बहार के
तुम मेरे घर
पधार रहे हो ऐसे जैसे
पतझड़ के पश्चात
आ रही हो
झूम झूमकर
फूलों की बहार
तुम मुझे कोई कांटा न
चुभाना
मैं करती हूं तुमसे
इस तरह की अनगिनत अपेक्षाएं
हजार
तुम मेरे जीवन में मत
ठहरना
बस थोड़ा रुककर वापिस चले
जाना
फिर कुछ समय बाद
चले आना
बिना पतझड़ की बहार के।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001