बिटिया !
बिटिया ! तुम……..
प्रसून सी प्रफुल्लित मुकुलित हो
पाखियों सी किलोलित सुखकर हो
अक़ीदा पैंजनियों सी रुनझुनी सरगम हो
यानि कि ……..
तुम आज भी महफूज हो
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बिटिया ! तुम्हारी…..
हंसी में निश्छल खनक है
सौन चिरैया सी चहक है
रौनक है परी रुप है
यानि कि ……..
तुम आज भी महफूज हो
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बिटिया ! तुम तो……….
सीता सावित्री दुर्गा की प्रतिरूप हो
लक्ष्मी सरस्वती राधा का स्वरूप हो
महादेवी मैत्रेयी गार्गी का विदुषी रूप हो
यानि कि ……..
तुम आज भी महफूज हो
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बिटिया ! आखिर ……..
कब तक खैर मनाओगी
नग्न क्षत विक्षत देह पड़ी
आंखें शर्म से हैं गड़ी
कब तक अंग विमोचन होंगे
क्यूं बंद समाज के लोचन होंगे
यानि कि……..
सुधबुध चेत लेना होगा
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बिटिया ! अब तुम्हें बदलना होगा
रुप दुर्गा का धरना होगा
महिषासुरमर्दिनी बनना होगा
खुद की खातिर खुद लड़ना होगा
संगीता बैनीवाल