बिटिया वचन
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पापा मुझे कुछ कहना है।
बातें हमेशा करती हूँ।
पर आज अलग ही करना है।
पापा मैं आपकी बेटी हूँ।
आज बड़ी पोस्ट पर बैठी हूँ ।
क्यों ?
पूरा आपने पढ़ा दिया।
मुझे अपने पैरो पर खड़ा किया।
मुझे आपने नही गर्भ में मारा।
लड़की के नाम से भी,
कभी नही दुत्कारा।
वास्तव में पापा आप अच्छे है।
हमें गर्व है कि हम आपके बच्चे है।
परन्तु पापा आप गन्दे भी है।
भैया ने आपका
पापा क्या बिगाड़ा था।
जो उनको,
आपने नही पढाया।
मेरी शिक्षा में इतना
क़र्ज़ आपने क्यों लिया।
कि भैया के हिस्से ,
हिज़्ज़े भी नही आये।
आप भी जमाने के साथ
भेड़ चाल में बह गए पापा।
बेटियां किसी से कम नही।
बेटियो पर सब कुछ कुर्बान।
तो पापा।
क्या बेटे ?
किसी अलग जगह से आते है?
आखिर लोग दोहरा मापदण्ड क्यों अपनाते है।
किसी जगह बेटियों को ,
तो किसी जगह बेटों को दबाते है।
इस भेड़ चाल का,
अंत कब कैसे होगा।
बीस फीसदी लोगो ने ,
बेटियां क्या मारी।
लोग सबको सुताघाती ,
समझने लगे।
बेटी बचाओ क्यों ?
सन्तान बचाओ क्यों नही?
पापा आप तो ,
लीक से हटकर चले होते।
खैर अब भी आप ,
एक मुहिम ऐसी चलाओ
।
जिसमें बेटा या बेटी के नाम पर, आरक्षण न हो।
और तो क्या कहूँ ?पापा !
आप बोलोगे ,
मैं बहुत बोलने लगी हूँ।
सो कलम को विराम देती हूँ।