बिटिया प्यारी
बेटी दिवस पर विशेष
आई दुनिया में बिटिया प्यारी ,
गूंजी नन्ही सी किलकारी।
परी सुहानी घूमा करती,
उछल कूद गोदी में करती,
कभी मटकती ,कभी लिपटती,
पापा संग अठखेली करती ,
छोटी छोटी बातों पर भी ,
मूंह को अपने बिचका लेती,
जैसे मानो लुट गई दौलत ,
सूसल होकर भाव न देती ,
पाकर वापस थोड़ा सा नेह,
पल में पापा को पप्पी देती,
बस उस पल यूं लगता दौलत,
दुनिया की मिल गई हो सारी।
आई दुनिया में बिटिया प्यारी।
छमछम पांवों की पैंजनिया,
संगीत भरा करती आंगन में ,
हल्की सी बारिश होती तो ,
छपछप करती वो सावन में,
जब पापा फिर दफ़्तर जाते ,
हंसी छोड़ गुमसुम हो जाती ,
फिर भी नन्हा हाथ हिलाकर,
आया के संग अंदर जाती,
होकर पलको में कैद छवि ,
लगती दुनिया से भी न्यारी।
आई दुनिया में बिटिया प्यारी।
वक्त सख्त था पर बीत गया ,
हर दिन होता उसके संग नया ,
पांच साल तक पापा के संग,
खेली कूदी और भिड़ी लड़ी ,
दादा दादी पास पड़ोसी
आया मम्मा संग हुई बड़ी।
फिर उस नन्ही का सुख भी ,
बस मम्मी को ही मिलना था,
कर के पापा को बेहाल उसे तो,
ननिहाल की और निकलना था।
वो चंद्रकिरण सी मुस्कान को ले,
पापा की परी भी चली गई।
बस साप्ताहिक मिलन लिखा,
पढ़ाई में अब वो झूल गई।
प्यारी बिटिया नन्ही बिटिया ,
याद बहुत ही आती थी।
उसके लिय बनाई लोरी ,
ओठों पर चढ़ जाती थी।
बस ऐसा लगता था जैसे ,
थम गई हो दुनिया सारी ।
आई दुनिया में बिटिया प्यारी।
कलम घिसाई