बिटिया दिवस
क्यो समझते है, बेटी है पराया धन और बेटा है अपना धन।
जबकि दोनो ही लेते है एक कोख से जन्म।।
दोनो को एक घर,दोनो का एक आंगन,
दोनो की एक धरती,दोनो का एक गगन,
दोनो का एक माली,दोनो का एक चमन,
फिर भी कहते है बेटी है पराया धन,
और बेटा है अपना धन।
बेटी न होगी फिर बहू कहां से तुम लाओगे ?
बेटे का घर फिर कैसे तुम बसाओगे ?
बेटी न होगी दो परिवारो का मिलन कैसे होगा ?
फिर रिश्तो का आगे बढ़ना कैसे होगा ?
सभी से पूछता हूं इन प्रश्नों का समाधान,
फिर क्यों समझते है बेटी है पराया धन,
और बेटा है अपना धन।
बेटा अगर वंश है तो बेटी भी घर की अंश है,
बेटा अगर घर की आन है तो बेटी घर की शान है,
मत समझो बेटी घर की कुछ दिनों की मेहमान है,
बेटी किसी घर की देवी है किसी की लक्ष्मी धनवान है।
फिर भी क्यों समझते है बेटी है पराया धन है,
और बेटा है अपना धन है।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम