बिटियाँ आई घर आज मेरे(कविता)
बिटियाँ आई है/मंदीप
बिटियाँ आई है घर आज मेरे,
करेंगी सारे सपने साकार मेरे।
आई आज हमारी परी आँगन में,
अब गूँजेगी किलकारी घर मेरे।
कमी ना हो घर मे किसी की,
लष्मी खुद चल कर आई पास मेरे।
बेटी है कुल का दिया ,
इस दिये को भुजाओ ना भाई मेरे।
मंदीपसाई