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12 May 2024 · 1 min read

बिगड़ी किश्मत बन गयी मेरी,

बिगड़ी किश्मत बन गयी मेरी,
तेरी दर पर जब से आया।
कभी कोई फरियाद भी न की,
फिर भी झोली भर भर पाया।

अपने हर मुरीद को तूने,
कदम कदम पर दिया सहारा।
अवगुण कभी कोई नहीं देखा,
तू है ऐसा दाता न्यारा।

समय से पहले भाग्य से ज्यादा,
कोइ दे सकता,वो केवल तू।
रब का है मुख्तियार कोई गर,
और नहीं कोइ वो केवल तू।

बड़भागी सृजन उस दिन से,
क़ामिल मुर्शिद जब से पाया।
कभी कोई फरियाद भी न की,
फिर भी झोली भर भर पाया।

Language: Hindi
475 Views
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