बिखर गए सब मेल !
भुला दिए सब वायदे,
बिखर गए सब मेल !
औरों की छत जा चढ़ी,
छोड़ पेड़ को बेल !!
झेलेगी कब तक भला,
नाव भँवर मँझदार !
नौसिखिया मल्लाह है,
टूटी है पतवार !!
✍ सत्यवान सौरभ
भुला दिए सब वायदे,
बिखर गए सब मेल !
औरों की छत जा चढ़ी,
छोड़ पेड़ को बेल !!
झेलेगी कब तक भला,
नाव भँवर मँझदार !
नौसिखिया मल्लाह है,
टूटी है पतवार !!
✍ सत्यवान सौरभ