बिखरी यादें
[4/23, 4:33 AM] Dr Naresh Kumar Sagar: उसके चेहरे को पढ़ लिया मैंने।
उसको बाहों में भर लिया मैंने।।
उसको एतबार आभी शायद कम है।
गजलों में जिसे अपना लिख दिया मैंने।।
[4/23, 4:39 AM] Dr Naresh Kumar Sagar: जिसको मैंने ख़ुदा बनाया है।
मेरी नश नश में वो समाया है।।
साया बनकर वो साथ रहता है।
जुवां ने गीत जिसका गाया है।।
[4/23, 5:15 AM] Dr Naresh Kumar Sagar: आज छू लेने दे अपनें बदन को।
बढ़ने दे और दिल की चुभन को ।।
घुटन सी होती है दूर रहकर तुझसे।
खत्म होने दो आज इस घुटन को।।
[4/23, 5:25 AM] Dr Naresh Kumar Sagar: बात दिल की जुबां पर आयी है
देख तुझको नज़र ललचाई है।।
जब से देखा है ये गोरा बदन तेरा।
मेरे बदन ने भी ली अंगड़ाई है।।
[4/23, 5:33 AM] Dr Naresh Kumar Sagar: आज कहने दे जो भी कहना है।
तेरे होठों को होठों से छूना है।।
तेरा बदन है शराब की बोतल।
आज जी भरकर जिसे पीना है।।
[4/23, 6:11 AM] Dr Naresh Kumar Sagar: बहुत नशा है तेरी जवानी में।
नाम तेरा है मेरी कहानी में।।
बिन तेरे होती है सांसो में घुटन।
डूबलें दोनों कुछ देर पानी में ।।
======डॉ नरेश सागर