बिखरी – बिखरी सी
बिखरी – बिखरी सी
ढूंढता बचपन, बचपन में खुद को
बिखरा – बिखरा सा , बचपन क्यूं है
घुटन महसूस कर रही है , हर एक सांस
बिखरी – बिखरी सी , हवाएं क्यूं हैं
गजब नज़ारों का , दौर हुआ ख़त्म
धुंआ – धुंआ सी , फिजायें क्यूं हैं
चाहकर भी बयाँ , न कर पाने का गम
डरी – डरी सी , सभी साँसें क्यूं हैं
जिन्दगी हो रही है, खौफ़ का पर्याय
सिसकती – सिसकती सी , जिन्दगी क्यूं है
धर्म हो गया , राजनीति का मोहरा
जन्नत की राहें , सूनसान क्यूं हैं
पास रहकर भी , दूर होने का एहसास
रिश्तों मे मर्यादा , बेमानी क्यूं है
प्यार , मुहब्बत की बातें , नहीं भाती उनको
दिलों के बीच ये दूरियाँ क्यूं हैं
ढूंढता बचपन, बचपन में खुद को
बिखरा – बिखरा सा , बचपन क्यूं है
घुटन महसूस कर रही है , हर एक सांस
बिखरी – बिखरी सी , हवाएं क्यूं हैं