*बिखरा सपना संग संजोया*
बिखरा सपना संग संजोया
***********************
बूढ़े बाप ने है बेटा खोया,
बिखरा सपना संग संजोया।
उजड़ गया है चमन सलोना,
जड़ से सूखा पौधा,जो बोया।
कैसी करनी ये कैसी भरनी,
कैसा खेल कुदरत ने परोया।
दिल का टुकड़ा हुआ पराया,
रंग जीवन का गम में डुबोया।
मनसीरत मन मैला दरिया है,
लहरों ने अपने दम पर धोया।
***********************
सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)