Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jul 2024 · 1 min read

*बिखरा सपना संग संजोया*

बिखरा सपना संग संजोया
***********************

बूढ़े बाप ने है बेटा खोया,
बिखरा सपना संग संजोया।

उजड़ गया है चमन सलोना,
जड़ से सूखा पौधा,जो बोया।

कैसी करनी ये कैसी भरनी,
कैसा खेल कुदरत ने परोया।

दिल का टुकड़ा हुआ पराया,
रंग जीवन का गम में डुबोया।

मनसीरत मन मैला दरिया है,
लहरों ने अपने दम पर धोया।
***********************
सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)

71 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बहराइच की घटना पर मिली प्रतिक्रियाओं से लग रहा है कि लोहिया
बहराइच की घटना पर मिली प्रतिक्रियाओं से लग रहा है कि लोहिया
गुमनाम 'बाबा'
मेरी प्यारी अभिसारी हिंदी......!
मेरी प्यारी अभिसारी हिंदी......!
Neelam Sharma
"यादों की रेल"
Dr. Kishan tandon kranti
सांझ सुहानी मोती गार्डन की
सांझ सुहानी मोती गार्डन की
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
जीवन : एक अद्वितीय यात्रा
जीवन : एक अद्वितीय यात्रा
Mukta Rashmi
!!! होली आई है !!!
!!! होली आई है !!!
जगदीश लववंशी
Please Help Me...
Please Help Me...
Srishty Bansal
रावण
रावण
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
4738.*पूर्णिका*
4738.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जबकि तड़पता हूँ मैं रातभर
जबकि तड़पता हूँ मैं रातभर
gurudeenverma198
अंधेरे का रिसाव
अंधेरे का रिसाव
Kshma Urmila
रखी हुई है अनमोल निशानी, इक सुन्दर दुनिया की,
रखी हुई है अनमोल निशानी, इक सुन्दर दुनिया की,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*दिल का कद्रदान*
*दिल का कद्रदान*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
होली
होली
Mukesh Kumar Sonkar
ख्वाहिशे  तो ताउम्र रहेगी
ख्वाहिशे तो ताउम्र रहेगी
Harminder Kaur
चीख़ते हैं दर-ओ-दीवार नहीं होता मैं
चीख़ते हैं दर-ओ-दीवार नहीं होता मैं
पूर्वार्थ
दीवाली विशेष कविता
दीवाली विशेष कविता
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
मोहल्ला की चीनी
मोहल्ला की चीनी
Suryakant Dwivedi
।।
।।
*प्रणय*
रमेशराज की कविता विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की कविता विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
सच को तमीज नहीं है बात करने की और
सच को तमीज नहीं है बात करने की और
Ranjeet kumar patre
शाम हो गई है अब हम क्या करें...
शाम हो गई है अब हम क्या करें...
राहुल रायकवार जज़्बाती
राहों में खिंची हर लकीर बदल सकती है ।
राहों में खिंची हर लकीर बदल सकती है ।
Phool gufran
चले चलो
चले चलो
TARAN VERMA
हम पचास के पार
हम पचास के पार
Sanjay Narayan
*लो कर में नवनीत (हास्य कुंडलिया)*
*लो कर में नवनीत (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
फिर वही सुने सुनाए जुमले सुना रहे हैं
फिर वही सुने सुनाए जुमले सुना रहे हैं
Mahesh Tiwari 'Ayan'
ऐसे साथ की जरूरत
ऐसे साथ की जरूरत
Vandna Thakur
ब्राह्मण बुराई का पात्र नहीं है
ब्राह्मण बुराई का पात्र नहीं है
शेखर सिंह
रब के नादान बच्चे
रब के नादान बच्चे
Seema gupta,Alwar
Loading...