रमेश छंद “नन्ही गौरैया”
रमेश छंद “नन्ही गौरैया”
फुदक रही हो तरुवर डाल।
सुन चिड़िया दे कह निज हाल।।
उड़ उड़ छानो हर घर रोज।
तुम करती क्या नित नव खोज।।
चितकबरी रंगत लघु काय।
गगन परी सी हृदय लुभाय।।
दरखत पे तो कबहु मुँडेर।
फुर फुर जाती करत न देर।।
मधुर सुना के तुम सब गीत।
वश कर लेती हर घर जीत।।
छत पर दाना जल रख लोग।
कर इसका ले रस उपभोग।।
चहक बजाती मधुरिम साज।
इस चिड़िया का सब पर राज।।
नटखट नन्ही मन बहलाय।
अब इसको ले जगत बचाय।।
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रमेश छंद विधान –
“नयनज” का दे गण परिवेश।
रचहु सुछंदा मृदुल ‘रमेश’।।
“नयनज” = [ नगण यगण नगण जगण]
( 111 122 111 121 )
12 वर्ण, 4 चरण, दो-दो चरण समतुकांत।
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बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
तिनसुकिया