बाढ़
नया मौलिकता प्रमाण पत्र**
मैं .–सुखविंद्र सिंह मनसीरत———- घोषणा करती हूँ कि पोस्ट की रचना शीर्षक बाढ़— ” स्वयंरचित, मौलिक तथा अप्रकाशित है जिसे मैं “दैनिक वर्तमान अंकुर ” में प्रकाशन हेतु सहमति दे रही हूँ। इस को प्रकाशन हेतु कहीं अन्य नहीं भेजा गया है और प्रकाशन होने से पूर्व किसी अन्य समूह या फिर समाचार पत्र में प्रकाशन के लिए नहीं भेजेगें। मैं प्रकाशक/संपादन मंडल को रचना में एडिटिंग करने का पूर्ण अधिकार देती हूँ, और एडिट की हुई रचना मुझे पूर्ण रूप से मान्य होगी। इसके प्रकाशन से यदि किसी प्रकार के कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो उससे सम्बंधित विषयों के लिए मैं रूप से उत्तरदायी हूँ।” दैनिक वर्तमान अंकुर” के प्रकाशक/एडमिन आदि इसके लिए उत्तरदायी नहीं हों
धन्यवादनमन मंच
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
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प्राकृतिक आपदा होती है बाढ़
प्रकृति का रौद्र रूप होती है बाढ़
अत्याधिक जमा हो जाता है नीर
जीवन हाल बेहाल बनाती बाढ़
नदियाँ,नालों में है भर जाए जल
भारी बारिश का परिणाम है बाढ़
जितने ऊँचे भी हों महल, अटारी
क्षण में धूल चटाती भंयकर बाढ़
खेत,खलिहान,मैदान एवं मकान
पल भर में जलमग्न कर दे बाढ़
उत्तर-दक्षिण,पूर्व-पश्चिम के छोर
चारों ओर से पूर्ण डूबो देती बाढ़
मानव जीवन हो जाता है बाधित
पर्यावरण को हानि पहुंचाये बाढ़
पशुधन, जीव जंतु भूखे हैं मरते
बीमारियों का घर बनाती है बाढ़
जनजीवन समस्याग्रस्त हो जाता
जीवनयापन कठिन बनाती बाढ़
पुनर्निर्माण में सालों हैं लग जाते
हो जाते हैं प्रभावित क्षेत्र जो बाढ़
भारी मात्रा में हो पानी अतिप्रवाह
विनाशक रूप धार लेती है बाढ़
मनसीरत जैसे कोई जल समाधि
बहुत ही विध्वंसकारी होती बाढ़
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)