बाज़ार
बेच रहे हैं कुछ न कुछ सब
दुनियाँ के बाजारों में
बेच रहे हैं रस्मे कसमें
अपने ख़ातिरदारों में
बेच रहे हैं कुछ न कुछ।
कोई है इमां बेचता
कोई आत्म ज्ञान बेचता
कोई बेचता हुनर को अपने
कोई है भगवान बेचता
कोई बेचता सुंदर सपने
कोई है इंसान बेचता।
देखो यह बाजार लगा है
महफ़िल के किरदारों में
बेच रहे हैं कुछ न कुछ सब
दुनियां के बाजारों में।
राह चलो तो दिख जाएगा
जीने वालों का परिवेश
ध्यान से देखो दिख जाएगा
भेष के अंदर का भी भेष
हर वाणी में मोल छुपे हैं
मोल भाव करने के बोल
हर जुम्बिश में राज छुपे हैं
बेचने के नुस्खे अनमोल।
कोई सुख और चैन बेचता
बेबस और लाचारों में।
बेच रहे हैं कुछ न कुछ सब
दुनियाँ के बाजारों में।
कोई है व्यापार बेचता
कोई अपना प्यार बेचता
कोई बेचता विजय को अपनी
कोई अपनी हार बेचता
देखो तुम भी बिक न जाना
इन उलझे गलियारों में
बेच रहे हैं कुछ न कुछ सब
दुनियाँ के बाज़ारों में।
विपिन