बाज़ार में
2122 2122 212
फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन
गज़ल
खोट है कहते रहे किरदार में
मात खाई है सरे बाज़ार में ।1
बिक गये जिनके लिए हम आज यूँ
छापते थे वो ख़बर अख़बार में ।2
थी मुहब्बत ही हमारी दौलतें
खर्च कर दी वो सभी व्यापार में।3
तोहमतें ही जिंदगी की नेमतें
बंदगी करते रहे दरबार में ।4
आज पाखी क्यूँ हुई रुस्वां वहाँ
थी सजी महफ़िल जहाँ थी हार में ।5
पाखी