Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Dec 2024 · 1 min read

बाहरी चकाचौंध से उबकर

बाहरी चकाचौंध से उबकर
जब झांका मन भीतर तो
सूरज क्या, चाँद की शीतलता से भी पिघला हूँ
खाली हृदय, भारी मन, जुगनू सा प्रण लिये
अंतःकरण के अन्धकार से आजादी हेतु
स्वयं से स्वयं में स्वयं को खोजने निकला हूँ!

16 Views

You may also like these posts

तुम्हीं मेरा रस्ता
तुम्हीं मेरा रस्ता
Monika Arora
*** हम दो राही....!!! ***
*** हम दो राही....!!! ***
VEDANTA PATEL
वही नज़र आएं देखे कोई किसी भी तरह से
वही नज़र आएं देखे कोई किसी भी तरह से
Nitin Kulkarni
माँ अपने बेटे से कहती है :-
माँ अपने बेटे से कहती है :-
Neeraj Mishra " नीर "
मेरी आँखों में देखो
मेरी आँखों में देखो
हिमांशु Kulshrestha
ओवर पजेसिव :समाधान क्या है ?
ओवर पजेसिव :समाधान क्या है ?
Dr fauzia Naseem shad
रमेशराज के त्योहार एवं अवसरविशेष के बालगीत
रमेशराज के त्योहार एवं अवसरविशेष के बालगीत
कवि रमेशराज
कविता
कविता
Rambali Mishra
होते हैं उस पार
होते हैं उस पार
RAMESH SHARMA
कदम रोक लो, लड़खड़ाने लगे यदि।
कदम रोक लो, लड़खड़ाने लगे यदि।
Sanjay ' शून्य'
"कौन अपने कौन पराये"
Yogendra Chaturwedi
होती है
होती है
©️ दामिनी नारायण सिंह
"दोस्त-दोस्ती और पल"
Lohit Tamta
Nचाँद हमारा रहे छिपाये
Nचाँद हमारा रहे छिपाये
Dr Archana Gupta
कौन है जिसको यहाँ पर बेबसी अच्छी लगी
कौन है जिसको यहाँ पर बेबसी अच्छी लगी
अंसार एटवी
सबसे आसान है बहाने बनाकर खुद को समझाना। अपनी गलतियों पर खुद
सबसे आसान है बहाने बनाकर खुद को समझाना। अपनी गलतियों पर खुद
पूर्वार्थ
यादे....
यादे....
Harminder Kaur
न्याय करे मनमर्जी ना हो
न्याय करे मनमर्जी ना हो
AJAY AMITABH SUMAN
मित्र होना चाहिए
मित्र होना चाहिए
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
तुम से ना हो पायेगा
तुम से ना हो पायेगा
Gaurav Sharma
।। जीवन प्रयोग मात्र ।।
।। जीवन प्रयोग मात्र ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
गांवों की सिमटती हरियाली
गांवों की सिमटती हरियाली
Sudhir srivastava
#शीर्षक:-नमन-वंदन सब करते चलो।
#शीर्षक:-नमन-वंदन सब करते चलो।
Pratibha Pandey
4439.*पूर्णिका*
4439.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तेरी याद दिल से निकाली नहीं जाती
तेरी याद दिल से निकाली नहीं जाती
Jyoti Roshni
धार में सम्माहित हूं
धार में सम्माहित हूं
AMRESH KUMAR VERMA
"उजाले के लिए"
Dr. Kishan tandon kranti
*सहकारी-युग हिंदी साप्ताहिक का तीसरा वर्ष (1961 - 62 )*
*सहकारी-युग हिंदी साप्ताहिक का तीसरा वर्ष (1961 - 62 )*
Ravi Prakash
ये जो लोग दावे करते हैं न
ये जो लोग दावे करते हैं न
ruby kumari
Loading...