Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2023 · 1 min read

बाल श्रमिक

फटे अधर, नयनाश्रु लिये कहा बालमन,
सुन माँ धरणी, सुन पिता गगन ।
है क्या मेरा निर्छिन्न अपराध अपार,
श्रमिक पांत खड़ा हूँ विवश लाचार।
हुई ईश्वर की ऐश्वर्यशक्ति आज क्षीण,
दिया पिता दीन, कहीं वह भी लिया छीन।
बिन भोजन क्या है धैर्य जीवन आधार,
जाऊँ किधर? भुख लिये किस -किस द्वार।
चट्टान बन खड़ा यहाँ निर्दयी अहंकारी समाज,
मानवता क्या नैतिकता भी नहीं अवशेष आज।
अहंकार तले शिशु को भी रौंद डाला उसने,
मुठ्ठी भर दाना दे, मजबूर मजदूर की संज्ञा दी जिसने।
हम निज सम्मुख कहीं न उस समृद्ध पौरुष को पाऊँ,
तरपित उदर, विध्वंस उर, जलाश्रित नेत्र जिसे दिखाऊँ।
ईश्वर का क्या? उगना बने विद्यापति गृह मजदूर,
हुई जब असहनीय, अदृश्य हो चले कहीं दूर।
बालक को हार-मांस सह पेट देकर बनाया सशरीर,
व्याकुल पेट, जग क्या रहा, रहेगा कोई स्थीर।
हेअंबरअवनि! संसार को कर क्षणिक मानवता बोध,
अपना क्या पराया, है जग का सब बच्चा बालबोध।
छू लेने दे श्वप्न लोक के असंख्य तारे,
अंबुदमाल पहन मेघयान पर उड़ जाए चाहे सारे।
कौतुक हृदय लिये पुष्प-पुष्प पर चित्रपतंगा,
स्वछंद उपवन में डाली डाली बैठ गाए राग विहंगा।
है यदि तु मानव, मानववृति का कर आंकलन,
मुझ सा शिशु का न नीरस कर मेरा बचपन ।

–उमा झा

Language: Hindi
155 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from उमा झा
View all
You may also like:
सही पंथ पर चले जो
सही पंथ पर चले जो
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
*सत्य की खोज*
*सत्य की खोज*
Dr Shweta sood
*घने मेघों से दिन को रात, करने आ गया सावन (मुक्तक)*
*घने मेघों से दिन को रात, करने आ गया सावन (मुक्तक)*
Ravi Prakash
किसी गैर के पल्लू से बंधी चवन्नी को सिक्का समझना मूर्खता होत
किसी गैर के पल्लू से बंधी चवन्नी को सिक्का समझना मूर्खता होत
विमला महरिया मौज
मेरे दिल की गहराई में,
मेरे दिल की गहराई में,
Dr. Man Mohan Krishna
पग मेरे नित चलते जाते।
पग मेरे नित चलते जाते।
Anil Mishra Prahari
ख्वाबों से परहेज़ है मेरा
ख्वाबों से परहेज़ है मेरा "वास्तविकता रूह को सुकून देती है"
Rahul Singh
हाइकु- शरद पूर्णिमा
हाइकु- शरद पूर्णिमा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
अंधभक्तो को जितना पेलना है पेल लो,
अंधभक्तो को जितना पेलना है पेल लो,
शेखर सिंह
" प्रार्थना "
Chunnu Lal Gupta
दोहे
दोहे
Santosh Soni
दिल में कुण्ठित होती नारी
दिल में कुण्ठित होती नारी
Pratibha Pandey
2321.पूर्णिका
2321.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
जन्म से मरन तक का सफर
जन्म से मरन तक का सफर
Vandna Thakur
प्रेम निवेश है ❤️
प्रेम निवेश है ❤️
Rohit yadav
चिंतन करत मन भाग्य का
चिंतन करत मन भाग्य का
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
"काल-कोठरी"
Dr. Kishan tandon kranti
तेवरीः शिल्प-गत विशेषताएं +रमेशराज
तेवरीः शिल्प-गत विशेषताएं +रमेशराज
कवि रमेशराज
स्वजातीय विवाह पर बंधाई
स्वजातीय विवाह पर बंधाई
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
■ आज का शेर
■ आज का शेर
*Author प्रणय प्रभात*
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
बीते कल की क्या कहें,
बीते कल की क्या कहें,
sushil sarna
कुछ मेरा तो कुछ तो तुम्हारा जाएगा
कुछ मेरा तो कुछ तो तुम्हारा जाएगा
अंसार एटवी
जीवन एक मैराथन है ।
जीवन एक मैराथन है ।
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
ঈশ্বর কে
ঈশ্বর কে
Otteri Selvakumar
आजादी की शाम ना होने देंगे
आजादी की शाम ना होने देंगे
Ram Krishan Rastogi
किसी विशेष व्यक्ति के पिछलगगु बनने से अच्छा है आप खुद विशेष
किसी विशेष व्यक्ति के पिछलगगु बनने से अच्छा है आप खुद विशेष
Vivek Ahuja
जाति-धर्म में सब बटे,
जाति-धर्म में सब बटे,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
विवशता
विवशता
आशा शैली
वक्त हालत कुछ भी ठीक नहीं है अभी।
वक्त हालत कुछ भी ठीक नहीं है अभी।
Manoj Mahato
Loading...