बाल लीला
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अंखियां चंचल,अधर धरी मुस्कान प्यारी
एक फूल गोद, दूजौ खिलत केसर क्यारी।।
सोचत गोरी, पहले काम निपटाय लऊं
फिर तोहे लऊं गोदी, हर्षित महतारी।।
मन में चिंता अनेक, उलझन घिरी नारी
शिकन नांय मुख, वस्त्र पहरौ है भारी।।
रुठत पकरौ हाथ, दिन्ही गलबहियां डार
करत दुलार चूमें है, मैया कौ लिलार।।
बाल लीला की, कौन कहे मिलत सुख भारी
लगत श्याम सो, यशोदा मैया की बलिहारी।।
______ मनु वाशिष्ठ