बाल -मजदूरी
नव उपवन के नव सुमन हम।
पुष्पित -पल्लवित हो जाने तो दो।।
पात्र मिट्टी के हैं अब तक हम।
थोड़ा पक जाने तो दो।।
खुल कर जीना है हमारा अधिकार ।
मत करो हमपर यह अत्याचार ।।
बाल मजदूरी है अभिशाप ।
अब तो रोक दो इसे आप।।
हैं निष्प्राण हम सब अभी ।
थोड़े प्राण संचार हो जाने तो दो।।