बाल दिवस
बाल दिवस, गोष्ठी आयोजित,
“रोको बालक श्रम” शीर्षक है |
अगर राह में कोई बालक,
श्रम करता ही दिख जायेगा,
उससे मैं अब क्या कह पाऊँ?
बालक छोडो तुम इस श्रम को,
जाओ अब स्कूल पास में,
यही उम्र तो पढने की है |
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भरे गले से वह कहता है,
बूढ़ी माँ बीमार हमारी,
उसे समय से मिले दवाई,
तो श्रम अब अनिवार्य मुझे है,
घर पर छोटी बहिन अभी है,
तीनों को रोटी खाना है,
मजबूरी, श्रम तो करना है |
तुम्हीं बताओ, मैं कैसे अब,
चला जाऊं स्कूल, छोड़ कर-
माँ को और बहिन को,बोलो-
जा सकता स्कूल, बताओ ?
बाल दिवस प्रति वर्ष आयगा,
बस प्रश्नों को छोड़ जायगा |