सबको सच्चा प्यार मिले !
हर बालक- बालिका को शिक्षा का अधिकार मिले,
थोड़ा कम ज्यादा हो बेशक,सबको सच्चा प्यार मिले!
छोटे- छोटे बच्चों को भी, चाय बेचनी पड़ती है ,
हाॅकर बन अखबार बेचते, बात बडी अखरती है
छोटे भाई -बहनों के रखवाले बन कर रह जाते हैं
अब भी ईटों के भट्ठों पर, बच्चे ही लोरी गातें हैं !
मैं चाहता हूं , हर बच्चे के बचपन को आधार मिले !
थोड़ा कम ज्यादा हो बेशक …
कूड़ा बिनते भी देखा है देश के नौनिहालों को,
सर्दी की रातों में देखा है , नंगे बाल-गोपालों !
उनको भी जाड़ा लगता है,उनके भी पैर ठिठुरते है,
वो बेचारे सड़को पर ही , लावारिस से मरते हैं !
उनको भी हक है जीने का, उनको भी घर बार मिले!
थोड़ा कम ज्यादा हो बेशक….
हर माँ की इच्छा होती है उसके भी बच्चे पढ़ जाये,
उसकी छाती चोङी हो, इतिहास वो ऐसा गढ़ जाये!
काम वाली बाई बनकर भी सपने सच नहीँ कर पाती है,
रोटी का प्रबंध करते करते ही, बच्चों की माँ मर जाती है!
ऐसे बच्चों को भी खुशियों से भरा पूरा संसार मिले !
थोड़ा कम ज्यादा हो बेशक….
-श्रीभगवान् बव्वा